हम सौ रुसल महेशे । गौरी विकल मन करथि उदेशे ॥
पूछिए पथिकजन तोहि । ए पथे देखल कहु बुढ बटोही ॥
अंगमे विभूति अनुपे । कतेक कहब हुनि जोगिक सरूपे ॥
विद्यापति भण ताहि । गौरी हर लेल भेल बताहि ॥
पूछिए पथिकजन तोहि । ए पथे देखल कहु बुढ बटोही ॥
अंगमे विभूति अनुपे । कतेक कहब हुनि जोगिक सरूपे ॥
विद्यापति भण ताहि । गौरी हर लेल भेल बताहि ॥
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