उगना रे मोर कतय गेला । कतय गेला शिव कि दहु भेला ॥
भांग नहि बटुआ रुसि बैसलाह । जोहि हेरि आनि देल हसि उठलाह ॥
जो मोर कहत उगना उदेश । ताहि देवँओ कर कंगना वेश ॥
नन्दन वन मे भेटल महेश । गौरी मन हरषित मेटल कलेश ॥
विद्यापति भन उगना सँऔ काज । नहि हितकर मोर त्रिभुवनराज ॥
भांग नहि बटुआ रुसि बैसलाह । जोहि हेरि आनि देल हसि उठलाह ॥
जो मोर कहत उगना उदेश । ताहि देवँओ कर कंगना वेश ॥
नन्दन वन मे भेटल महेश । गौरी मन हरषित मेटल कलेश ॥
विद्यापति भन उगना सँऔ काज । नहि हितकर मोर त्रिभुवनराज ॥
Very good song
जवाब देंहटाएंmy favourite song
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