शुक्रवार, 17 जून 2016

चंद्रमुखी सन गौरी हमर छथि

चंद्रमुखी सन  गौरी हमर छथि ,सुरुज सन करब जमाई ।
हमर मनोरथ दैवो  न बूझल , बुढे वर अनि  तुलाइ ॥
एही वर के हम हड़ी ठोकायब ,बान्हि देवैन्ह वनसार ।
कानि कानि गौरी चिठिया लिखाओल, हर के कोन  अपराध ॥
हमरो करम मे  इएह वर लिखल ,लिखल मेटल नहि  जाय ।
भनहि विद्यापति सुनिय मनइन, लिखल मेटल नहि  जाय ॥  

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